Class 11th hindi prashn bank solution 2021-22 mp board सम्पूर्ण काव्यखंड भाग 3
Class 11th hindi prashn bank solution mp board, कक्षा 11वी हिन्दी प्रश्न बैंक सोल्यूशन 2021-22 mpboard, आरोह पद्य खंड प्रश्नोंत्तर 2022
हैलो स्टूडेंट नमस्कार आज इस पोस्ट में हम आपको कक्षा 11 वीं हिन्दी लोक शिक्षण संचनालय विमर्श पोर्टल द्वारा जारी किए गए प्रश्न बैंक में हिंदी काव्यखंड का सोल्यूशन देखेंगे।
प्रश्न बैंक का सलूशन देखने से पहले आपके दिमाग में कुछ सवाल आते होंगे जिनके आंसर यहां पर दिए गए हैं-
प्रश्न बैंक क्यों पढ़ना चाहिए, प्रश्न बैंक से क्या प्रश्न आते हैं, और प्रश्न बैंक से ही पढ़ना क्यों जरूरी है, इन सभी प्रश्नों के आंसर यहां पर दिए गए हैं।
क्या प्रश्न बैंक से प्रश्न आते हैं?
जब से प्रश्न बैंक जारी हुए हैं तो आप सब में से कई लोगों ने इसे डाउनलोड भी कर लिया होगा लेकिन आप सब को यह डाउट होगा
कि प्रश्न बैंक में से हमारी बोर्ड परीक्षा या वार्षिक परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं या नहीं?
तो मैं आपको बता दूं पिछले वर्ष बोर्ड द्वारा जारी किए गए प्रश्न बैंक से आपके 90 से 95% प्रश्न, प्रश्न बैंक से ही पूछे गए थे तो प्रश्न बैंक में से प्रश्न आते हैं और प्रश्न बैंक में से आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न बैंक क्यों पढ़ना चाहिए?
Students आप सभी को पता ही होगा प्रश्न बैंक जो जारी किए जाते हैं बोर्ड द्वारा वह सभी आप के लेटेस्ट ब्लूप्रिंट के आधार पर तैयार किए जाते हैं और आप सबको पता ही है कि जो आपका प्रश्न पत्र आता है यानी कि क्वेश्चन पेपर आपका जो आता है वह पूर्णत: ब्लूप्रिंट पर आधारित होता है उसमें से एक अंक का प्रश्न भी यहां वहां नहीं होता।
इसलिए जो प्रश्न बैंक जारी किए जाते हैं वह पूर्णता ब्लूप्रिंट पर आधारित होते हैं और यदि आप पूर्णता ब्लूप्रिंट पर आधारित प्रश्न बैंक को पढ़ेंगे
तो आपसे सभी प्रश्न बन जाएंगे इसलिए प्रश्न बैंक पढ़ना जरूरी होता है।
प्रश्न बैंक का सोल्यूशन कहाँ मिलेगा?
यदि आप लोगों ने प्रश्न बैंक डाउनलोड कर लिए हैं तो आपको पता ही होगा कि प्रश्न बैंक में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के आंसर तो दिए हैं लेकिन अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के आंसर नहीं दिए हैं।
ऐसे में इनका सलूशन आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है तो इनका सलूशन हम आपको प्रोवाइड करवाएंगे जिसमें आपके चैप्टर वाइज नोट आपको पीडीएफ के माध्यम से इसी वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे।
Class 11th hindi prashn bank solution 2021-22 mp board (3 अंकीय) कवि परिचय
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प्र. (vii) नि.लि. प्रश्नों के उत्तर 75-75 शब्दो में दीजिए।
Q.8 ans.
कबीरदास जी साहित्यिक परिचय
रचनाएँ - साखी, सबद, रमैनी।
भाव-पक्ष - कबीर जी को हिन्दी काव्य में रहस्यवाद का जन्मदाता कहा जाता है । कबीर
के काव्य में आत्मा और परमात्मा के सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या मिलती है। इन्होंने अपने काव्य में परमात्मा को प्रियतम एवं आत्मा को प्रेयसी के रूप में चित्रित किया है। उनके काव्य में विरह की पीड़ा है। कबीर ने कहीं-कहीं अनूठे रूपकों द्वारा अपने गूढ़ भावों की अभिव्यक्ति प्रदान की है।
कलापक्ष - कबीरदास जी के काव्य में चमत्कार के दर्शन होते हैं। कविता उनके लिए
साध्य न होकर साधन मात्र थी। उनकी रचनाओं में साहित्यिक सौन्दर्य, कहीं-कहीं छंद-गठन तथा अलंकार-विधान के सौष्ठव का अभाव भी मिलता है। उनके काव्य में अनायास ही मौलिक एवं सार्थक प्रतीकों, अन्योक्तियों एवं रूपकों का सफल प्रयोग मिलता है।
साहित्य में स्थान - कबीरदास निर्गुण धारा के श्रेष्ठ कवि हैं।
मीराबाई का साहित्यिक परिचय
रचनाएँ - नरसीजी रो माहेरो, गीत-गोविन्द टीका, राग-गोविन्द, राग सोरठा के पद।
भाव-पक्ष - विरह-दीवानी मीरा का काव्य आँसुओं से परिपूर्ण है। इनकी रचनाओं में दाम्पत्य रति की श्रृंगार व्यंजना हुई है। मीरा के हृदय में विरह का अथाह सागर हिलोरें ले रहा है। इसी कारण महादेवी वर्मा ने उन्हें 'गीत जगत की साम्राज्ञी' तथा 'भक्ति के तपोवन की शकुन्तला' और महाकवि निराला ने संगीत की देवी' कहा है। मीरा ने कृष्ण की भक्ति गोपीभाव से की है। रहस्यवादी भावना भी मीरा के काव्य में व्याप्त है।
कला-पक्ष - मीरा की भाषा राजस्थानी है। इनकी रचनाओं में ब्रजभाषा का प्रभाव भी अधिक है। गुजराती और पंजाबी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। परन्तु मीरा ने 'हृदय की भाषा' का अधिकांशतया उपयोग किया, जो अपनी सरल, तरल गति से भक्ति के सागर में बहती है। रूपक, उत्प्रेक्षा, लोकोक्ति, अनुप्रास आदि अलंकारों का स्वाभाविक उपयोग है। मीरा की भाषा में न तो अलंकारों का चमत्कार है, न कल्पना की उड़ान, न साहित्यिकता है, वह तो गिरधर गोपाल के चरणों में भाव-सुमन अर्पित करने का माध्यम है।
साहित्य में स्थान-हिन्दी साहित्य के इतिहास में कोई कवयित्री या कवि इतनी व्यापक अनुभूति लेकर अवतरित नहीं हुआ। भक्त कवयित्रियों में मीरा का स्थान हिन्दी साहित्य में सर्वोच्च है।
Q.9 ans. रामनरेश त्रिपाठी का सहित्यिक परिचय
दो रचनाएं - मिलन ,पथिक ,मानसी,स्वप्न आदि।
भावपक्ष- रामनरेश त्रिपाठी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। देशभक्ति,माधुर्य, ग्राम्य जीवन,त्याग,बलिदान,प्रकृति,मानवता आदि आपके काव्य-विषय रहे हैं। उन्होंने आदर्शवादी काव्य की रचना करके देश को उत्थान की ओर प्रेरित किया है। वे रचनात्मक काव्यधारा के पोषक कवि थे।
कलापक्ष- रामनरेश त्रिपाठी जी की भाषा,शुध्द साहित्यिक खड़ी बोली है। माधुर्य गुण आपके भाषा की एक विशेषता है। त्रिपाठी जी द्वारा मुख्यः वार्णत्मक एवं उपदेशात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। अलंकारों,प्रतीकों का स्वाभाविक प्रयोग आपके काव्य की प्रमुख विशेषता है।
साहित्य में स्थान- रामनरेश त्रिपाठी आधुनिक हिंदी कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं। इन्होंने देश प्रेम, संस्कृति, भारतीयता, ग्राम्य जीवन पर दुर्लभ साहित्य उपलब्ध कराया है। हिन्दी साहित्य को सम्पन्न बनाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
सुमित्रानन्दन पंत का साहित्यिक परिचय
रचनाएँ - युगान्त, उत्तरा, पल्लव, ग्राम्या, स्वर्ण-किरण, स्वर्ण-धूलि, लोकायतन (महाकाव्य)।
भाव-पक्ष - पन्त जी छायावादी कवि थे। इनकी कविताओं में प्रकृति के मनमोहक चित्र
मिलते हैं। पन्त जी की कविता का विशेष गुण अध्यात्म की ओर झुकाव तथा सौन्दर्य प्रेम है। इनको प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है। भाषा में प्रसाद और माधुर्य गुण है। भाषा अत्यंत चित्रमयी एवं अलंकृत है जिसमें प्रत्येक शब्द का अपना विशिष्ट महत्त्व है। खड़ी बोली को आपने रमणीय रूप दिया है।
कला-पक्ष- आपकी कविता ओज और माधुर्य गुण से युक्त है। आपने कविता में प्रायः
कोमलकान्त पदावली को ही अपनाया है। आपकी कविता में अलंकृत शैली की प्रधानता है। आपने तुकान्त, अतुकान्त, मुक्तक और स्वच्छन्द छन्दों का प्रयोग किया है। विविध वर्ण, गद्य और ध्वनि नाद का इन्होंने कविता में सजीव चित्रण किया है।
साहित्य में स्थान- निराला जी ने एक बार पन्त जी के लिये बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा था-
"यदि तुलसी और सूर हिन्दी साहित्य के सत्य और शिव हैं तो पंत जी सुन्दरम् हैं।"
Q.10 ans. भवानीप्रसाद मिश्र का साहित्यिक परिचय
रचनाएँ- गीत-फरोश, चकित है दुःख, अँधेरी कविताएँ, बुनी हुई रस्सी |
भाव पक्ष - प्रेम की एक पक्षीयता के दर्शन मिश्र जी की कविता में प्रेम की एक पक्षीयता के दर्शन होते हैं। उसमें आकुलता, आँसू और अभाव की चर्चा अधिक हुई है।
मानववादी कलाकार मिश्र जी एक मानववादी कलाकार हैं। मानव मूल्यों की प्रतिष्ठा उनका अभीष्ठ है। मानववादी भावना उनके काव्य में सर्वत्र समाहित है, चाहे कवि प्रकृति की दृश्यावली में डूबा हो या विशेष मनःस्थिति में आत्मस्थ हो गया हो।
प्रगतिशील चेतना मिश्र जी के काव्य में प्रगतिशील चेतना के भी दर्शन होते हैं। कवि ने अपनी प्रगतिशील चेतना से पूँजीपतियों, सामन्तों और शासकों के अत्याचारों का सजीव वर्णन किया है। प्रकृति चित्रण मिश्र जी प्रकृति के कवि हैं। इन्होंने प्रकृति सौन्दर्य के चित्र इतनी गहराई से ओर सजीवता से उभारे हैं कि उनमें प्रकृति, मोहक और यथार्थ रूप में साकार हो उठी है। गाँधीवादी विचारधारा गाँधी दर्शन अनुभूति के स्तर पर उनके विचारों में घुलमिल कर उनके काव्य में प्रकट हुआ है। उन्होंने अपने ‘गाँधी पंचशती’ कविता संग्रह में अपनी गाँधीवादी विचारधारा का भव्य परिचय दिया है।।
कलापक्ष- भाषा मिश्र जी की भाषा सहज, सरल, बोधगम्य और स्वाभाविक बन पड़ी है। इन्होंने स्वयं को संस्कृत की तत्सम शब्दावली से बचाकर सामान्य भाषा के शब्दों का प्रयोग किया है। शैली मिश्र जी की भाषा की तरह ही शैली भी सरल, सहज और।
प्रवाहमय है। बिम्ब एवं प्रतीक योजना मिश्र जी ने अपने व्यक्तित्व अनुभूति और आस्था के सन्दर्भ में प्रतीकों का प्रयोग किया है, इसके साथ ही अपनी कविता में विविध प्रकार के बिम्बों को भी अपनाया है। अलंकार एवं छन्द मिश्र जी ने अपने काव्य में अलंकारों का सरल, सहज और स्वाभाविक प्रयोग किया है। अलंकारों का छलीरूप मिश्र जी को मोहित नहीं कर सका। प्रयोगवादी प्रवृत्ति के कारण इन्होंने अधिकांश रूप से छन्द मुक्त कविताएँ लिखी हैं, परन्तु उनमें लय और ध्वन्यात्मकता का पूर्ण ध्यान रखा है।
हिन्दी साहित्य में स्थान -प्रयोगवादी कवियों में भवानी प्रसाद मिश्र एक प्रख्यात कवि के रूप में जान। जाते हैं। प्रयोगवादी एवं नई कविता की काव्यधारा के प्रतिष्ठित कवि के रूप में। इन्हें अत्यधिक सम्मान प्राप्त है।
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यदि आपने हिंदी कक्षा 11 आरोह काव्य खंड के भाग 1 व भाग 2 के प्रश्नों के उत्तर नहीं देखे हैं तो नीचे दी गई लिंक से देख सकते हैं।
ऊपर दिए गए सभी प्रश्नों की नोट्स डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक कीजिए
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Sir download nahi ho
ReplyDeleteRaha ha